Sunday 20 December 2015

फीकी पड़ती रणजी ट्रॉफी की चमक



नई दिल्ली:
क्रिकेट भारत में एक धर्म की तरह है। यहां क्रिकेट के प्रति लोगो की दीवानगी जगजाहिर है। अगर आप भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना चाहते हैं तो उससे पहले आपको रणजी ट्रॉफी में खेलना पड़ेगा। रणजी ट्रॉफी को टीम इंडिया की तरफ से खेलने का मौका कहा जाता है। खिलाड़ी को रणजी में अपनी प्रतिभा को और निखारने का पूरा समय मिलता है।



महाराजा रंजीत सिंह जी के नाम पर ही इस क्रिकेट प्रतियोगिता का नाम रणजी ट्रॉफी रखा गया। महाराजा रंजीत सिंह जी का जन्म वर्ष 1872 में काठियावाड़, ब्रिटिश इंडिया में हुआ था।  रंजीत सिंह जी नवानगर की रियासत के शासक थे। रंजीत सिंह जी भारत की तरफ से खेलने वाले पहले खिलाड़ी थे। वे भारत और इंग्लैंड दोनों की तरफ से खेले थे। उन्होंने क्रिकेट में नए शॉट्स लगाने के तरीके इजात किये थे। 



रंजीत सिंह जी के देहांत के बाद 1934 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने रणजी ट्रॉफी श्रंखला को शुरू किया। पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने रणजी ट्रॉफी का उद्घाटन किया था। रणजी प्रतियोगिता में फ़िलहाल देश भर की 27 टीमें खेल रही हैं। रणजी ट्रॉफी घरेलु फर्स्ट क्लास क्रिकेट चैंपियनशिप है। रणजी ट्रॉफी में राउंड रोबिन मैच 4 दिनों के होते हैं व नॉकआउट मैच 5 दिनों के होते हैं। अगर नॉकआउट मैच में एकमुश्त परिणाम नहीं निकलता है तो जो टीम अपनी पहली पारी में बढ़त बना चुकी होती है वही मैच की विजेता बनती है।



पिछले कुछ समय से रणजी ट्रॉफी अपनी चमक को खो रही है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आ जाने से युवा खिलाड़ी अब रणजी में खेलते तो हैं लेकिन रणजी के मैच लंबी अवधि के होने के कारण खिलाड़ी आईपीएल को ज्यादा महत्व देते हैं। प्रमुख वजह यह भी हो सकती है कि आईपीएल में ज्यादा पैसा मिलना। रणजी ट्रॉफी में खिलाड़ियों को कम वेतन मिलना भी एक वजह हो सकती है। आज के युवा खिलाड़ी आईपीएल को भारत की तरफ से खेलने का एक शानदार मंच समझते हैं। आईपीएल की चकाचौंध युवा खिलाड़ियों को आकर्षित करती है। ऐसा नहीं कि रणजी में खिलाड़ी महनत नहीं करते पर उन्हें अपने योगदान के बदले उतनी प्रसंशा नहीं मिलती है जिसके वह हक़दार होते हैं। लोग रणजी ट्रॉफी में खिलाड़ी के प्रदर्शन को इतना याद नहीं रखते हैं जितना उसी खिलाड़ी के आईपीएल में किए गए प्रदर्शन को याद रखते हैं।



स्टेडियम में लोग रणजी खिलाड़ियों का प्रोत्साहन करते भी कम दिखाई देंगे, जबकि स्टेडियम में रणजी मैच देखने के लिए किसी प्रकार का शुल्क भी नहीं देना पड़ता है। कुछ दर्शको को शायद ही यह पता होगा कि उनका आईपीएल का पसंदीदा खिलाड़ी रणजी में किस टीम से खेल रहा है। रणजी ट्रॉफी के मैचों का प्रसारण टीवी पर तब देखने को मिलता है जब कोई बड़ा मैच न आ रहा हो। लंबे फॉर्मेट के मैच होने कारण प्रसारण के लिए रणजी को प्रायोजक कम मिलते हैं। वहीँ टीमों को भी प्रायोजक भी कम मिलते हैं।



युवा खिलाड़ियों का रूझान आईपीएल में रणजी के मुकाबले ज्यादा देखने को मिलता है क्योंकि वहां अधिक चमक-धमक है। वहां फ़िल्मी सितारे, राजनितिक लोग, बड़े व्यापारियों का आना जाना लगा रहता है। आईपीएल में खिलाड़ियों को बेहिसाब पैसा मिलता है। एक मैच में किसी बल्लेबाज़ या गेंदबाज़ ने शानदार प्रदर्शन कर दिया तो समझो उसकी चांदी है। 2013 में हुए आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की वजह आईपीएल के दामन पर गंभीर दाग भी लग चुकें हैं।   



रणजी ट्रॉफी ने भारत को सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह, महेंद्र सिंह धोनी, हरभजन सिंह, ज़हीर खान, कपिल देव आदि जैसे प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ व गेंदबाज़ दिए हैं। खिलाड़ियों को क्रिकेट की कई बारीकियां रणजी में आकर सीखने को मिलती हैं। आज के मुकाबले पहले रणजी ट्रॉफी में खेलना बहुत गर्व की बात मानी जाती थी। देश में वैसे तो कई घरेलू श्रंखला होती हैं उनमें रणजी ट्रॉफी को सर्वश्रेष्ट माना जाता है।



प्रस्तुति: देवांग मैत्रे 

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