Thursday 4 August 2016

किशोर कुमार (जन्मदिन विशेष): पल पल दिल के पास






भारतीय सिनेमा के लोकप्रिय और चहेते गायक ‘आभास कुमार गांगुली’ उर्फ़ किशोर कुमार का आज जन्मदिन है। उन्होंने मध्य प्रदेश के खंडवा में 4 अगस्त 1929 को मध्यमवर्गीय बंगाली परिवार में अधिवक्ता कुंजी लाल गांगुली के घर जन्म लिया था। अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे किशोर कुमार को देखकर कोई नहीं जनता था कि पूरी दुनिया में यह बच्चा अपनी आवाज के दम पर पहचाना जाएगा। अपने गाने के अनोखे अंदाज़ के चलते किशोर कुमार को सब हरफनमौला कहते थे। Kishore Kumar Biography in Hindi में जानते हैं कैसा रहा उनका जीवन।




Kishore Kumar Biography in Hindi में किशोर कुमार के बड़े भाई स्वर्गीय अभिनेता अशोक कुमार व अभिनेता अनूप कुमार बॉलीवुड में अपना स्थान बना चुके थे। अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर भी अभिनय में खुद आजमायें। किशोर कुमार बचपन से ही गायकी के शौक़ीन थे पर उन्होंने संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी। किशोर कुमार कैरियर के शुरूआती दिनों में फिल्मों में मुख्य गायक बनने से पहले  ‘बॉम्बे टॉकीज’ के लिए एक कोरस गायक हुआ करते थे। किशोर कुमार की ‘युद्लिंग’ काफी मशहूर थी जिसकी प्रेरणा उन्होंने अपने भाई अनूप कुमार के ऑस्ट्रियन रिकार्ड्स से ली थी। किशोर कुमार 1970 से 1987 के बीच सबसे महंगे गायक हुआ करते थे। किशोर कुमार ने अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, जीतेन्द्र जैसे बड़े-बड़े दिग्गज कलाकारों के गानों में अपनी आवाज दी।



किशोर कुमार ने गायन के साथ-साथ अभिनय में किस्मत आजमाई। उन्होंने वर्ष 1951 मे फिल्म ‘आंदोलन’ में बतौर मुख्य अभिनेता अपने कैरियर की शुरुआत की, लेकिन यह फिल्म दर्शको को पसंद नहीं आई। वर्ष 1953 मे प्रदर्शित फिल्म ‘लड़की’ बतौर अभिनेता उनके कैरियर की पहली हिट फिल्म थी। इसके बाद भी एक अभिनेता के रूप में किशोर कुमार ने अपनी फिल्मो के जरिये दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। किशोर कुमार ने अपने भाइयों अशोक और अनूप के साथ 1958 में आई फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ में भी अभिनय किया था। Kishore Kumar Biography in Hindi में इस फिल्म में किशोर के गाये “बाबु समझो इशारे’ और ‘एक लड़की भीगी भागी सी’  आज भी लोगों की जुबान पर हैं।




किशोर कुमार को अपने करियर में वह दौर भी देखना पड़ा, जब उन्हें फिल्मों में काम ही नहीं मिल रहा था। तब वह स्टेज पर कार्यक्रम पेश करके अपना जीवन यापन करने को मजबूर थे। मुंबई में आयोजित ऐसे ही एक स्टेज कार्यक्रम के दौरान संगीतकार ओपी नैयर ने जब उनका गाना सुना, तो उन्होंने भावविभोर होकर कहा कि महान प्रतिभाएं तो अक्सर जन्म लेती रहती हैं, लेकिन किशोर कुमार जैसा पार्श्व गायक हजार वर्ष में केवल एक ही बार जन्म लेता है। उनके इस कथन का उनके साथ बैठी पार्श्वगायिका आशा भोंसले ने भी सर्मथन किया।




Kishore Kumar Biography in Hindi में1964 में आई फिल्म ‘दूर गगन की छांव में’ से फिल्म निर्देशन की दुनिया में किशोर कुमार ने कदम रखा और बाद में ‘हम दो डाकू’, ‘दूर का राही’, ‘बढ़ती का नाम दाढ़ी’, ‘शाबास डैडी’, ‘दूर वादियो मे कही’, ‘चलती का नाम जिंदगी’ और ‘ममता की छांव’ मे जैसी कई फिल्मों का निर्देशन भी किया और साथ ही साथ उन्होंने इन फिल्मो के गानों में अपनी आवाज़ भी दी।




1969 मे निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म ‘आराधना’ के जरिये किशोर कुमार सुरों की दुनिया के बेताज बादशाह बने लेकिन दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के निर्माण की शुरुआत के समय फिल्म के संगीतकार सचिन देव वर्मन चाहते थे सभी गाने किसी एक गायक से न गवाकर दो गायकों से गवाएं जाएं। बाद में सचिन देव वर्मन की बीमारी के कारण फिल्म आराधना में उनके पुत्र आरडी बर्मन ने संगीत दिया। ‘मेरे सपनों की रानी कब आयेगी तू’ और ‘रूप तेरा मस्ताना’ गाने किशोर कुमार ने गाये, जो बेहद पसंद किये गए। ‘रूप तेरा मस्ताना’ गाने के लिये किशोर कुमार को बतौर गायक पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। Kishore Kumar Biography in Hindi में इसके साथ ही फिल्म आराधना के जरिये वह उन ऊंचाइयों पर पहुंच गए, जिसके लिए वह सपनों के शहर मुंबई आए थे।




एक दिलचस्प बात यह भी है कि किशोर कुमार ने अपने घर के बाहर ‘किशोर से सावधान’ का बोर्ड लगाया था। एक बार प्रोड्यूसर एच एस रवैल, किशोर कुमार के घर उनसे लिए हुए पैसे लौटाने गए तो किशोर कुमार ने पैसे ले लिए फिर जब रवैल साहब ने हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया तो किशोर कुमार ने उनका हाथ मुंह में दबोच कर कहा की ‘क्या आपने घर के बाहर लगा बोर्ड नहीं पढ़ा?




किशोर कुमार को अपनी गायकी के लिए 8 बार फिल्मफेयर पुरस्कार से भी नवाज़ा गया था। उन्होंने 600 से अधिक फिल्मो में अपनी आवाज़ दी। उन्होंने बंगला, मराठी, गुजराती, कन्नड, भोजपुरी और उडिया फिल्मों में भी अपनी दिलकश आवाज में गाने गाए। Kishore Kumar Biography in Hindi में उनकी मदहोश कर देने वाली गायकी का बड़ो से लेकर छोटे बच्चे तक हर कोई दीवाना था।



13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ने से किशोर कुमार इस दुनिया से हमेशा के लिए चले गए। उनकी इच्छा वापस खंडवा में जाकर अपने आखरी दिन व्यतीत करने की थी। उनकी आखिरी फिल्म कौन जीता कौन हारा थी, जो 1987 में आई थी।


किशोर कुमार का निजी जीवन

Kishore Kumar Biography in Hindi में हम जानेंगे उनके निजी जीवन के बारे में। चलिए. जानते है उनकी पर्सनल लाइफ कैसी रही।
  1. उनकी पत्नी का नाम रुमा घोष था. किशोर कुमार ने उनसे 1951 में विवाह किया था, वो बंगाली फ़िल्मों की अभिनेत्री और गायिका भी थी। इन दोनों का एक बेटा है, जिनका नाम अमित कुमार है जो कि फ़िल्मों में अभिनेता, गायक, संगीत निर्देशक और फिल्म निर्देशक है। 1958 में किशोर और रुमा दोनों अलग हो गए थे।
  2. उन्होंने दूसरी शादी अभिनेत्री मधुबाला से 1960 में की थी मधुबाला के साथ उन्होंने चलती का नाम गाड़ी और झुमरू मे काम किया था दिल की बीमारी की वजह से मधुबाला निधन 23 फ़रवरी 1969 को हो गया था
  3. तीसरी शादी उन्होंने अभिनेत्री योगिता बालि के साथ वर्ष 1976 मे हुई थी। 1978 में यह शादी भी टूट गई।
  4. 1980 में किशोर कुमार ने चौथी शादी अभिनेत्री लीना चंदावरकर से की थी। इस विवाह से उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ, जिनका नाम सुमित कुमार है।


किशोर कुमार के अनसुने किस्से

Kishore Kumar Biography in Hindi में हम जानेंगे किशोर कुमार के जीवन से जुड़े कुछ अनसुने किस्से, जो शायद ही आप सभी को पहले से पता हों। चलिए, जानते हैं।

1. एक बार की बात है। एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में जाने-माने निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी किशोर कुमार से मिलने उनके घर गए थे, लेकिन उनके वाचमैन ने उन्हें घर में घुसने से रोक दिया था और बेइज्जत करके भगा दिया था। ऐसा एक कंफ्यूजन के चलते हुआ था।


2. किशोर कुमार एकांत में समय बिताना पसंद करते थे और इंटरव्यू देने से नफरत करते थे। लोग उनसे मिलने कम आएं, इसलिए उन्होंने अपने घर के लिविंग रूम में खोपड़ी और हड्डियां लगवा ली थीं। साथ ही कमरे में रेड लाइट लगा रखी थी। ख़ास बात यह है कि खुद किशोर हॉरर फिल्में देखने से डरते थे।


3. एक बार किशोर दा निर्माता आर सी तलवार के साथ काम कर रहे थे, लेकिन आर सी तलवार ने उन्हें आधे पैसे दिए। किशोर दा तो अपने उसूल के पक्के थे, वे रोज सुबह तलवार लेकर निर्माता के घर के सामने पहुंच जाते थे और जोर-जोर से चिल्लाने लगते थे, "हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार... हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार...।"


4. जय जय शिव शंकर गाने में एक लाइन आती है ‘बजाओ रे बजाओ, भैया बजाओ, अरे पचास हजार लग गए’, यह लाइन किशोर दा ने मस्ती में गाई थी जिसका गाने से कोई मतलब नहीं था। प्रोडयूसर डायरेक्टर जे ओमप्रकाश बार बार कह रहे थे कि पचास हजार खर्च करा दिए, क्योंकि गाने का बजट बढ़ता जा रहा था।


5. किशोर दा जब कॉलेज में पढ़ते थे तब उन पर 10-20 पैसे की उधारी थी, जो उस समय बड़ी रकम होती थी। किशोर दा पर जब कैंटीन वाले के पांच रुपया बारह आना उधार हो गए और कैंटीन वाला उन्हें पैसे चुकाने को कहता तो वे वहीं बैठकर टेबल पर गिलास और चम्मच बजा बजाकर पांच रुपया बारह आना गा-गाकर कई धुनें निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे।


प्रस्तुति -देवांग मैत्रे

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